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ये कैसी आग है लगी, जल रही है जिन्दगी,

संघर्ष एनजीओ
संघर्ष एनजीओ
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वन्दे मातरम दोस्तों

ये कैसी आग है लगी, जल रही है जिन्दगी,
भूख से प्यास से, अपने ही विश्वास से……………

खो गया है आदमी , रो रहा है आदमी,
चाह कर भी छुटकारा, नही अपनी लाश से………….

खादी को पहन कर, पड़े पत्थर ज़हन पर,
कल के मवाली, आज आदमी हुए खास से……………

सत्ता का स्वाद चखा, खून मुंह को लगा,
संसद में घूमते, नरभक्षी बदमाश से…………….

कोई भी सरकार हो, मंहगाई की मार हो,
पाना हमको छुटकारा, खुद के ही संत्राश से………….

“मरता है आज कौन यहाँ, महंगाई की मार से,
जिन्दा ही हम तो मर गये, अपनी सरकार से”

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