Menu
blogid : 3381 postid : 87

मुफलिसी के तन से तूने, खींची चादर लाज की……..

संघर्ष एनजीओ
संघर्ष एनजीओ
  • 42 Posts
  • 61 Comments

बड़ा ही खतरनाक रहा, बड़ना तेरा विकास,
मुफलिसी के तन से तूने, खींची चादर लाज की……..

झोपड़ियां मिटा के कैसे, पांच सितारा हो खड़े,
गरीबी की रोटी पे तूने, रखी नजर बाज की……….

हरे भरे बन काट तूने, कंक्रीट के बनाये जंगल,
है खबर इक बड़ी कीमत, हमे चुकानी है इस काज की………

दूसरों का पेट भरने, खेत खटता बैल बन जो,
मुद्दत से किसान की बेटी, नही देखी शक्ल प्याज की……….

सारा परिवार साथ बैठ, देखता सी ग्रेड फ़िल्में,
ये कौन सी है संस्क्रती, ये कैसी बात आज की ………….

संध्या वन्दन भूल बैठे, भूल बैठे जोत बाती,
शोर को संगीत समझे, ना बात करें साज की………

बलशाली के पाँव पकड़ो, तलुवे चाटो नाक रगडो,
भूखे को लात मारो, ना फ़िक्र कोई मोहताज की………

बेशक पैर तले अपनों की लाश, बड़ना लेकिन है जरूरी,
तन का हो या मन का सौदा, ना बात करो राज की………..

Read Comments

    Post a comment

    Leave a Reply

    Your email address will not be published. Required fields are marked *

    CAPTCHA
    Refresh