- 42 Posts
- 61 Comments
चल आ करते है हत्याएं,
संसद को खंडहर बनाये चल,
फिर मुंबई में फेंके बम,
भारत को मिटटी में मिलाएं चल…………
मौत का खेल खेलने का,
हमारे पास स्वर्णिम अवसर है,
पकड़े भी गए तो क्या होगा?
जेल में डनलप का बिस्तर है………
कुछ एक साल तो तारीख तारीख
खेलने में निकल जायेंगे
हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट तक
कई अफसर बदल जायेंगे ……..
फांसी की सजा फिर भी मिली तो,
राष्ट्रपति से क्षमा याचना,
जाति, धर्म, मजहब या कौम से,
मिल जाएगा कोई हमे खास हाँ……….
हमारी खातिर विधान सभा में,
नये नियम बनाये जायेंगे,
राष्ट्रपति पर दबाव बनाने को,
लोग सडकों पे लाये जायेंगे………
फिर भी फेवर अपना ना हुआ तो,
सरकारें गिरा देंगे,
खून से रंगेगी भारत भूमि,
मजहबी दंगे करवा देंगे ………..
चल निश्चित हो कर करते हैं,
भारत भूमि पर कत्ले आम,
इस देश के नेता कर देंगे,
बाकी बचा हमारा काम……….
हत्यारों की फांसी पर, सियासत गरमाई है,
दुर्दांत हत्यारों को, फांसी ना मेरे भाई है …………
Read Comments