संघर्ष एनजीओ
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जब कलेक्टर ही बंदी हुए, औकात अपनी खाक है,
अब तो गुंडा राज है, बात बिलकुल साफ़ है,
बात बिलकुल साफ़ है, वो चाहे जो करेंगे,
नत मस्तक हुई व्यवस्था, बेगुनाह बेमौत मरेंगे,
घुटने टेके गुंडों आगे, सरकार चलाओगे क्यूँकर ,
आम आदमी की कौन कहे, मौत के मुंह जब कलेक्टर,………
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सरकार घुटने टेकती, ये बात आम हो गई,
खबर कुछ भी ना लगी, सुबह, रात, शाम हो गई,
सुबह, रात, शाम हो गई, बैचैनी बड़ने लगी,
नतमस्तक सरकार, बहाने नये गड़ने लगी,
नक्सलियों के आगे, सरकार क्या है बेचती,
हर और हरेक मोर्चे पर, सरकार घुटने टेकती……….
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