संघर्ष एनजीओ
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***क्या यही लोकतंत्र है यार?***
हर नुक्कड़ पर मिलते यार,
भय, भूख और भ्रष्टाचार,
फूल हैं कम और ज्यादा खार,
क्या यही लोकतंत्र है यार?…………
नेताजी भरते तिर्वाचा,
तुम हो मेरे मामा चाचा,
मिल बाँट कर देश को लूटो,
घोटाले तुम करो अपार……..
क्या यही लोकतंत्र है यार?…………
अफसर रिश्वत का है साथ,
रिश्वत के बिन बने ना बात,
जनता के नौकर कहलाते,
है राजसी इनका संसार……….
क्या यही लोकतंत्र है यार?…………
आम आदमी आम हुआ,
सबने चूसा फेंका दिया,
सत्ता की ठोकर में गुठली सा,
इधर उधर हो बारम्बार…………
क्या यही लोकतंत्र है यार?…………
सत्ता के मद में मदमाते,
आम आदमी को लतियाते,
अपने फायदे के नियम बनाते,
जनता की कौन सुने पुकार………
क्या यही लोकतंत्र है यार?…………
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